दिव्य शक्तियों वाला ब्रह्मकमल और उससे जुड़े कुछ रहस्य
आइये जानते हैं उस फूल के बारे में जिसको खिलते हुए देखने पर आपकी जिंदगी बदल सकती है | हमारी प्रकृति में ऐसे कई फूल और पौधे मौजूद है जिनकी खूबसूरती और गुण बेमिसाल है और इन्हीं में से कुछ तो पूरी तरह से दैवीय शक्ति वाले माने जाते हैं | ऐसे कई हजारों लाखों फूलों की प्रजातियां हमारी प्रकृति में मौजूद है | जिनकी खूबसूरती देखते से ही बनती है | हम सभी ने तो कमल के फूल को देखा ही है | जो कीचड़ में खिलता है पर हमारी इस धरती के दुर्गम इलाकों में ऐसा एक कमल भी पाया जाता है जो कि कीचड़ में नहीं बल्कि पहाड़ियों पर खिलता है |
यह एक ऐसा कमल है जो अलौकिक शक्तियों से परिपूर्ण है | यह अत्यंत सुंदर चमकते सितारे जैसा और अत्याधिक सुगंध वाला कमल है | इस कमल को हिमालय फूलों का सम्राट भी कहा गया है | यह कमल आधी रात के बाद खिलता है | इसीलिए इसे खिलते देखना स्वप्न देखने के समान ही है | ऐसा कहा जाता है कि अगर इसे खिलते समय देखकर कोई कामना की जाए तो वो अति शीघ्र ही पूर्ण हो जाती है |
आइये अब जानते है ब्रह्म कमल के पौधों के बारे में
ब्रह्म कमल के पौधे में 1 साल में केवल एक बार ही फूल आता है जो कि शुभ रात्रि में ही खिलता है और सफेद रंग का होता है | जो देखने में आकर्षक होता है जिसके बारे में कहा जाता है कि यह सृष्टि के रचयिता ब्रम्हा जी का कमल है | इसीलिए इसे ब्रह्मकमल के नाम से जाना जाता है | आपको इस अत्यंत दुर्लभ चमत्कारी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाले फूल के रहस्य और प्रचलित मान्यताओं के बारे में जान कर बहुत प्रसन्ता होगी जिससे आप आज तक अनजान थे |
आइए जानते हैं कि आखिर इतने खास ब्रह्म कमल के पौधे में 1 साल में केवल एक बार ही फूल क्यों आता है
यह फूल केवल रात्रि में ही खिलता है | कहते हैं कि इसकी सुंदरता और अलौकिक शक्तियों के साथ- साथ इसमें औषधि गुण भी मौजूद है | इस फूल की विशेषता यह है कि जब खिलता है तब इसमें त्रिशूल की आकृति बन कर उभर आती है | कहते हैं कि ब्रह्मा कमल ना ही ख़रीदा जाना चाहिए और ना ही से बेचा जाना चाहिये | उसको देवताओं का अपमान समझा जाता है क्योकि इसमें जादुई प्रभाव भी होता है | जैसे कि हमारे आसपास की जगह पर पाए जाने वाले सामान्य कमल की प्राप्ति आसानी से हो जाती है ब्रह्म की प्राप्ति आसानी से नहीं होती |
हिमालय में खिलने वाला यह फूल देवी देवताओं का आशीर्वाद होता है | हर साल एक बार ही खिलता है और एक ही रात रहता है | इस पर गिरा हुआ जल अमृत के समान माना गया है | कहते हैं कि सिर्फ भाग्यशाली व्यक्ति ही इसे खिलता हुआ देख पाते हैं और जो देखते है उन्हें सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है और भाग्य मजबूत होती है | जिस तरह बर्फ से ढका हिमालय क्षेत्र देवी देवताओं का निवास माना गया है | उसी तरह बर्फीले क्षेत्र में उगने वाले ब्रह्मकमल को देवी देवताओ का आशीर्वाद माना जाता है जो हिमालय के दुर्गम इलाकों में पाए जाने वाले ब्रह्मकमल में मौजूद होता है |
ब्रह्मकमल फूल नही पुष्प है इसीलिए इसे तोड़ने के कुछ नियम होते हैं | आमतौर पर जगह जगह मिलने वाले फूलो को देवी देवताओ को चढ़ाया जाता है लेकिन ब्रह्म कमल ही ऐसा पुष्प है जिसकी पूजा की जाती है | सामान्य तौर पर ब्रह्म कमल हिमालय की पहाड़ियों के 3000 से 5000 मीटर की ऊंचाई में पाया जाता है | इसकी सुंदरता तथा गुणों से प्रभावित होकर इस पुष्प को उत्तराखंड का राज्य पुष्प घोषित किया गया है | इसकी 50 से अधिक प्रजातियां हिमालय की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाई जाती है |
ब्रह्मकमल के बारे में कुछ प्राचीन मान्यताये
प्राचीन मान्यताओं में यह भी बताया गया हैं कि माता पार्वती जी के कहने पर ब्रह्मा जी ने ब्रह्म कमल का निर्माण किया था | भगवान शिव ने गणेश जी के कटे हुए मस्तक पर एक हाथी का सिर रखा तब उन्होंने ब्रह्मकमल के जल से उनके सिर पर पानी छिड़क दिया था | यही कारण है कि ब्रह्मकमल को जीवन देने वाले अमृत के सामान फूलों का दर्जा दिया गया है | आज का आधुनिक विज्ञान भी मानता है कि फूल में कई औषधीय गुण मौजूद है | ब्रह्म कमल का वर्णन रामायण काल में भी मिलता है | जब संजीवनी बूटी के द्वारा लक्ष्मण जी को पुनः जीवित किया गया था | तब उत्सव में भगवान ने स्वर्ग से सुंदर फूलो बरसाए जिससे पृथ्वी पर ब्रह्म कमल की उत्पत्ति हुई |
एक कथा के अनुसार जब पंच पांडव द्रोपदी के साथ जंगल में वनवास में थे तथा द्रौपदी कौरवों द्वारा अपने अपमान को भूल नहीं पा रही थी और एक शाम को जब द्रौपदी ने एक सुनहरे कमल को खिलते देखा तो उनकी सभी दर्द एक अलग ही खुशी में बदल गए | तब द्रौपदी ने अपने पति भीम को उस सुनहरे फूल की खोज के लिए भेजा | खोज के दौरान भीम जी की मुलाकात हनुमान जी से हुई थी |
बहुत सारी प्रचलित मान्यताओं में यह जानने को मिलता है ब्रह्म कमल एक ऐसा दुर्लभ पुष्प है जिसे जो भी खिलते हुए देखता है | उसमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है उसमें आध्यात्मिकता का विकास होता है कहते हैं यह केवल कुछ ही पलों के लिए खिलता है और जो इसे खिलते हुए देख कर मनोकामना करता है तो उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती है |
हम मान्यताओं को नकार नहीं सकते क्योंकि कई प्राचीन चित्रों पर भी इसका उल्लेख मिलता है | पाताल भुवनेश्वर गुफा में जाएंगे तो वहां आपको गणेश जी की कटी हुई मस्तक के ऊपर देखने को मिल जाएगा जहां से हमेशा पानी की कुछ बूंदें गणेश जी के मस्तक पर गिरती रहती है | ऐसे ही बहुत सारे उल्लेख है जहां ब्रह्म कमल के बारे में और उससे होने वाले सकारात्मक प्रभावों के बारे में सुनने और देखने को मिलेगा |
Source: adhyatam.com