चौंका देंगी जगन्नाथ पुरी मंदिर से जुड़ीं कुछ बातें
भगवान् जग्गनाथ जी का मंदिर उड़ीसा राज्य के पूरी जिले में समुद्री तट पर स्तिथ है | जग्गनाथ मंदिर श्री हरी के 8 वें अवतार भगवान् श्री कृष्ण को समर्पित है |
कहतें हैं की जब भगवान् विष्णु चारो धामों की यात्रा पर निकलते है तो उत्तर में हिमालय की ऊंची चोटियों पर बने अपने धाम बद्रीनाथ में स्नान करते है, पश्चिम में द्वारका धाम में वस्त्र पहनते है, पूर्व में बने धाम पूरी में भोजन करते है और दक्षिण में बने धाम रामेश्वरम में विश्राम करते है |
पुराणों में जग्गनाथ धाम को धरती का बैकुंठ मन गया है | इसे श्री क्षेत्र, श्री पुरुषोत्तम क्षेत्र, नीलांचल, नीलगिरि और श्री जग्गनाथ पूरी भी कहा जाता है | स्कन्द पुराण में माना गया है की भगवान् विष्णु यहाँ पुरुषोत्तम नीलमाधव के रूप में अवतरित हुए थे | स्कन्द पुराण के अनुसार पूरी एक दक्षिणवर्ती शंख की तरह है और यह 5 कोस यानी 16 किलोमीटर क्षेत्र में फैला है।
पूरी में प्रचलित है भगवान् जगन्नाथ की रथ यात्रा
पूरी के जगन्नाथ मंदिर में तीन मूर्तियां स्थापित हैं | इस मंदिर के गर्भ गृह में भगवान् श्री कृष्ण, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्ति विराजमान है | कहा जाता है की माता सुभद्रा को अपने मायके से बहुत प्रेम था, इसीलिए उनकी इच्छा को पूर्ण करने के लिए उन्होंने अलग अलग रथों में बैठकर द्वारका का भ्रमण भ्रमण किया था, तब से आज तक हर वर्ष पूरी में रथ यात्रा निकली जाती है |
आइये जानते है भगवान् जग्गनाथ मंदिर से जुडी कुछ चमत्कारी बातें
- इस मंदिर के शिखर पर एक झंडा है जो हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है |
- इसी तरह इस मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी है, जिसे किसी भी दिशा से देखने पर ऐसा लगता है की वो आपके तरफ ही है |
- इस मंदिर की रसोई में प्रसाद बनाने के लिए 7 बर्तन है, जिसे एक के ऊपर एक को रखकर प्रसाद पकाया जाता है पर खास की सबसे ऊपर बाले बर्तन का प्रसाद पहले पकता है और सबसे निचे वाले सबसे बाद में |
- इस मंदिर के सिंहद्वार से जैसे ही पहला कदम अंदर रखेंगे की आप वह समुद्र की लहरों का आवाज नहीं सुनाई देगा लेकिन जैसे ही आप एक पहला कदम मंदिर से बाहर रखेंगे लहरों की आवाज सुनाई देने लगेगा | यह अनुभव शाम के समय और भी अलौकिक लगती है |
- इस मंदिर की खास बात यह है की आप कभी भी इस मंदिर के ऊपर से किसी पक्षी को उड़ते हुए नहीं देख सकते यहाँ तक की कोई भी हवाई जहाज इस मंदिर के ऊपर से नहीं गुजरता है |
- इस मंदिर में हर दिन भक्तो के लिए बनने बाला प्रसाद कम नहीं पड़ता है और जैसे ही मंदिर के कपाट बंद होते है प्रसाद भी ख़त्म हो जाता है |
- सबसे आश्चर्यजनक बात यह है की इस मंदिर के शिखर की परछाई दिन में किसी भी समय नहीं बनती है |
- इस मंदिर के एक पुजारी हर रोज इस 45 मंजिला शिखर पर ध्वज बदलता है, ऐसा माना जाता है की अगर किसी दिन इस ध्वज को नहीं बदला गया तो मंदिर 18 बर्षो के लिए बंद हो जायेगा |
- इस मंदिर की सबसे चकित कर देने वाली बात यह है की दिन में चलने वाली हवा धरती से समुद्र की तरफ चलती है और शाम में समुद्र से धरती की तरफ लेकिन आम तौर पर यह बिलकुल इससे विपरीत है |
दोस्तों आपको ये कहानी कितना अच्छा लगा ये हमे कमेंट में लिखकर जरूर बताये, और अगर आपको इस मंदिर से जुडी कुछ और जानकारी हो तो वो भी हमे बताये, इससे हमे आपका कुछ सुझाव हमे लिखने में प्रेरित करेगा, धन्यवाद |